हौसले बुलंद हो तो इन्सान कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखता है

हौसले बुलंद हो तो इन्सान कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत रखता है कुनिहार विकास खण्ड की कोठी पंचायत के 72 वर्षीय किसान हेम चन्द ठाकुर ने हिम्मत नहीं हारी परन्तु हर मुश्किल का सामना कर के आगे बढ़ने का सबक लेते रहे


आजादी के 72 वर्षों के बाद भी  गावं तक सड़क नही होने का मलाल है हेम चन्द ठाकुर को ।1971 में हिमाचल प्रदेश राज्य के रूप में अस्तित्व आने के बाद भी 47 वर्ष बीत जाने पर भी सड़क गावं तक नही बनी।पंचायत व प्रदेश में सत्तासीन रही भाजपा व कांग्रेस के विधायक भी चुनाव के समय मे सिर्फ कोरे आस्वाशन ही आज तक देते रहे।विदित रहे कि कुनिहार पहले एक पंचायत होती थी फिर दो हुई व आज कुनिहार क्षेत्र तीन पंचायतो में बदल चुका है।



पिछले 47 वर्षों से इन तीनो पंचायत प्रतिनिधियों से भी सड़क बनाने की गुहार लगाने के बाद जब निराशा ही हाथ लगी तो खुद ही सड़क बनाने का निर्णय लिया।1965 से खेती बाड़ी करके नगदी फसलें उगा कर आजीविका चलाने वाले हेम चन्द ने 1975 से पशु पालन को भी अपने स्व रोजगार से जोड़ा व 5  गायो से डेयरी शुरू की। 47 वर्षो से लगातार कुनिहार बाजार के कई घरों में दोनों हाथों में करीब 20 20 लीटर दूध की बाल्टियां 72 वर्ष की उम्र में उठा कर लाना व करीब 2 किलो मीटर की खड़ी चढ़ाई में चलना इनके जज्बे को खुद ब्यान करता है

सर्दी हो, गर्मी हो या फिर भारी बरसात अपने कार्य के प्रति लगाव व मोहब्बत साफ बयां करती है, कि इनके अपनी जिंदगी के नियम क्या रहे होंगे।हर जगह से निराश होने के बाद अपने जमीर की आवाज को सुनते हुए अपने घर बाग(कोठी) तक सड़क बनाने का फैसला लिया व उद्यान विभाग की नर्सरी तक हाटकोट पंचायत द्वारा बनाई गई सड़क से आगे करीब 2 किलो मीटर सड़क का निर्माण अपने खून पसीने की कमाई से कर दिया।


सड़क बनने से अपनी भावी पीढ़ी के लिए देखे सपने के साकार होने का नूर हेम चन्द  जी के चेहरे पर देखा जा सकता है व अब सड़क बन जाने पर अपनी जमीन पर बोर करवा कर उन्नत खेती करने का बुलन्द इरादा बना लिया है। विदित रहे कि अभी हाटकोट पंचायत द्वारा खटनाली स्थित उद्यान विभाग की नर्सरी व  पंचायत द्वारा निर्मित श्मशान घाट तक लोगो को सड़क सुविधा मिल रही थी,जो कि अब हेम चन्द के निजी प्रयासों से बाग(कोठी) गावं तक हो गई है।

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