सोलन के कुनिहार में निकली रहस्यमयी गुफा, रायकोट किला होने के संकेत।


















कुनिहार सोलन मुख्यमार्ग के जांडली गांव जो कुनिहार से महज 4 किलो मीटर की दुरी पर है वंहा सड़क से करीब 200 मीटर की ऊंचाई पर एक गुफा होने का राज सामने आया। बताया जा रहा है कि यह गुफा सोलन के राज वंश घराने से तालुक रखती है जैसे जैसे लोगो को इस गुफा के मिलने का  पता चल रहा है वैसे वैसे लोगो का आना भी शुरू हो गया  यहाँ पर पिछले कुछ ही दिनों से रह रहे महंत संत  प्रेमान्द महराज ने उक्त गुफा के रहस्यों से भरा होने की बात कही है  ।
जानकारी के अनुसार कसौली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जांडली गांव से मात्र लगभग एक किलोमीटर की दूरी पहाड़ी पर  कुछ दिन पूर्व अचानक इस गुफा के रहस्य लोगो के सामने आया जैसे जैसे यह रहने वाले महंत व  ग्रमीणों ने खुदाई शरू की वैसे वैसे इस गुफा का रास्ता  अलग अलग गलियारों के रूप में खुलता रहा । गुफा की गलियां इतनी सकरी थी कि वह अंदर तक जाना न् मुन्किन था  अभी भी इस गुफा का रहस्य खुलने के लिए खुदाई जारी है। यहाँ रहने वाले सन्त प्रेमामानंद महाराज ने बताया कि जिस पहाड़ी पर यह गुफा निकली है यह जिला सोलन के रायकोट किला है । इस रायकोट किला का जिक्र शिवमहापुराण में भी आता है ।


ठीक इस गुफा के ऊपर  यह रायकोट किला है बताया जा रहा है कि किले के साथ एक पानी का स्तोत्र भी है। परन्तु झाड़िया बड़ी होने की बजह से उस तक पहुचा नही जा सकता । अगर गुफा की बात कही तो इस गुफा  में जगह जगह उभार है ऐसा प्रतीत है कि जैसे यहाँ कभी पानी टपकता हो। 50 वर्षीय प्रेमानंद महाराज ने बताया कि  वे अपने गुरु श्री श्री पूर्णानंद एक हजार आठ के आदेश के अनुसार  2017 से  भ्रमण पर निकले व जिला सोलन के अर्की के शिव गुफा लुटरू महादेव में सर्वप्रथम आए थे वहां से जखोली हनुमान मंदिर  तथा वह से भ्रमण  करते हुए हनुमान मंदिर बन्ना बनिया देवी पहुँचे  । ततपश्चात वह जांडली गांव में पहुचे व किसी गामीण ने उक्त  स्थान का पता बताया महाराज ने बताया कि पहाड़ी पर खोज की तो इस गुफा का रहस्य सामने आया व यह गुफा शिव महापुराण से सम्बन्ध  रखती है।


उन्होंने बताया कि जैसे ही पहली च्चाटन हटाई गई वैसे ही शेष नाग के दर्शन हुए व शिलाओं में लुप्त हो गया। अभी गुफा को खोलने का काम गांव की मद्त से जारी है।स्थानीय ग्रामीणों में मदन कुमार अशोक कुमार नरेश कुमार श्याम लाल राम लाल राम गोपाल रामरतन विक्की आदि ने कहा कि उक्त स्थान पर कोई पुरातन गुफा होने का अनुमान जरूर था परन्तु जबसे महंत प्रेमानंद महराज आये तबसे आज तक उक्त गुफा को खोले जाने व श्रधालुओ के बैठने के लिए श्रमदान किया जा रहा है क्योकि जेसे जेसे जेसे गुफा का मिलने का रहस्य लोगो को मालुम पड रहा है वैसे वैसे लोग इसे देखने आ रहे हैं

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