हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के कुनिहार में 10 भुजाओं वाली सिंह वाहिनी बनिया देवी मां दुर्गा का प्राचीन मंदिर ।



हिमाचल प्रदेश शिमला - नालागढ़ मार्ग पर कुनिहार से करीब 3 किलोमीटर की दूरी पर साधारण पहाड़ी शैली में बनिया देवी का प्राचीन मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत उदाहरण है । ऐसा सुनने में आता है , कि रियासत काल में जब कुछ राजपूत राजा उज्जैन से बघाट रियासत में रहने आए थे , तो उन्होंने इस स्थान पर अपनी कुलदेवी की स्थापना की थी। इस देवी को 10 भुजाओं वाली सिंह वाहिनी भी माना जाता है और यह स्थली बणी नाम से भी पहचानी जाती है। लगभग 10 -12 बीघे में फैले आम और अमरुद के फलों के बाग के मध्य में आम के वृक्ष के पास चमत्कारी जल स्त्रोत का चश्मा है ,जो किसी भी मौसम में सूखता नहीं है और निकटवर्ती गांव शाकली ,काउंटिं व बनिया देवी के गांव वासी अधिकतर इसी चश्मे के पानी का प्रयोग करते हैं।इस चश्मे के फूटने अथवा बनिया देवी के प्रकट होने के पीछे एक लोक कथा  भी है ।

जनश्रुति के अनुसार कुनिहार के राणा हरदेव सिंह को ब्रह्ममुहूर्त में एक दृष्टांत एवं भविष्यवाणी हुई, कि मैं वन देवी दुर्गा तुम्हारे बगीचे में जल कल्याण के लिए प्रकट होना चाहती हूं और मुझे निर्दिष्ट स्थान से निकाल कर वंहा पर मेरा मंदिर भी बनाओ ।धर्म परायण राणा हरदेव सिंह ने राज पंडितों को बुलाकर सभा में स्वयं का दृष्टांत सुनाया व ज्योतिष आचार्यों ने गणना की और भविष्यवाणी को सही ठहराते हुए राणा जी को देवी की प्रतिमा को निकालने का निर्देश दिया।

फलित शुभ मुहूर्त में सांकेतिक स्थान की बगीचे में खुदाई की गई और स्थल पर उपस्थित लोगों को तब आश्चर्यचकित होना पड़ा ,जब थोड़ी सी खुदाई पर ही उक्त स्थल पर ही दुर्गा माता की प्रतिमा और प्रतिमा के साथ तीन अन्य प्राचीन प्रतिमाएं निकली,जिन्हें  ज्योतिषियों ने माता दुर्गा के गणों की संज्ञा से विभूषित किया। राणा हरदेव सिंह का स्वप्न तो साकार हुआ ही ,परन्तु  उससे भी अत्यधिक आश्चर्यजनक घटना यह हुई की मूर्तियों की खुदाई संपन्न होते ही जमीन से मीठे पानी का चश्मा भी माँ दुर्गा के चरण कमलों से फूट पड़ा ,जो कि पहले नहीं था।

मां दुर्गा के दृष्टांत को अमली जामा पहनाते हुए हरदेव सिंह ने ना केवल मूर्तियो की प्राण प्रतिष्ठा की, अपितु मंदिर बनवा कर प्रतिवर्ष मां दुर्गा की पुण्य स्मृति में ज्येष्ठ मास की अष्टमी को मेले के आयोजन के निर्देश दिए। हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने से पूर्व राणा हरदेव सिंह बनिया देवी मेले का आयोजन करवाते थे ,और निकटवर्ती क्षेत्रों से कुश्ती प्रेमियों के लिए रियासत के नामी बड़े बड़े पहलवान कुश्ती के दाव पेंच दिखा कर मनोरजंन करते।बगीचे में सप्ताह भर उनके ठहरने की व्यवस्था राज दरबार की ओर से होती थी। बनिया देवी मेले का मुख्य आकर्षण कुश्तियां ही रहती है।आज बणिया देवी गांव को पर्यटन विभाग द्वारा भी " हर गांव की कहानी " में स्थान मिल गया है।आज पंचायत स्तर पर ज्येष्ठ माह की अष्टमी को लगने वाले मेले को बदस्तूर कायम रखा गया है। कुनिहार जनपद के लोग आज नई फसल आने पर बनिया देवी मंदिर में चढ़ावा चढ़ा कर माता दुर्गा का आशीर्वाद लेते है।
@akshresh sharma

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