समाज सेवा में इस निस्वार्थ पुनीत कार्य के लिए कई समाजसेवी संस्थाए कर चुकी है सम्मानित।
कुनिहार (देव तनवर)
हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के कुनिहार क्षेत्र की मनोरमा शर्मा को आंखों से कूड़ा निकालने वाली महिला के नाम से भी जाना जाता है। उनके हाथों में ऐसा जादू है कि आंख में किसी भी प्रकार का कोई कूड़ा-कर्कट पड़ जाए तो वह बड़ी आसानी से उसे निकाल देती हैं ।घास,लोहे के कण,कांच सहित आंख में पड़े किसी भी चीज को बड़े ही कुशलता से सहज ही निकाल लेती है।वह पिछले करीब 43 वर्षों से यह काम कर रही हैं
मनोरमा के घर हाटकोट पँचायत कुनिहार में सुबह से लोग पहुंच जाते हैं वह निस्वार्थ इस कार्य को करती है ताकि उसके हाथों से सभी का भला होता रहे।सर्वप्रथम उसने अपने पड़ोस की एक बच्ची की आंख से कूड़ा निकाला था। उसके बाद से यह सिलसिला आज तक जारी है।इस कला को वह भगवान का आशीर्वाद मानती है। छोटी सी माचिस की तीली में रूई लगाकर वह आसानी से आंख से कूड़ा निकाल देती हैं।
इसके अतिरिक्त आंख में पड़े कांच या लोहे के कणों को बॉयल्ड सुई ,ब्लेड या प्लकर की मदद से सहज ही निकाल लेती है
उन्होंने बातचीत में बताया कि उनके पास कैंसर स्पेसलिस्ट डॉ परिहार व आंखों के स्पेसलिस्ट डॉ जिनकी आंखों में इंजेक्शन की ट्युब का कांच गिरा था उसे भी निकाल चुकी है।
इन 43 वर्षों में वह हजारो लोगो की आंखों से कई तरह का कूड़ा कचरा निकाल चुकी है।मनोरमा ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अर्की में प्रशिक्षण भी लिया है। उनको इस जनहित कार्य के लिए पंचायत व कई सामाजिक संगठन सम्मानित कर चुके है। सामाजिक सेवाओं के लिए वह डी.सी. सोलन द्वारा भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्हें आज तक किसी भी सरकार से प्रोत्साहन नहीं मिला।
कुनिहार (देव तनवर)
हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के कुनिहार क्षेत्र की मनोरमा शर्मा को आंखों से कूड़ा निकालने वाली महिला के नाम से भी जाना जाता है। उनके हाथों में ऐसा जादू है कि आंख में किसी भी प्रकार का कोई कूड़ा-कर्कट पड़ जाए तो वह बड़ी आसानी से उसे निकाल देती हैं ।घास,लोहे के कण,कांच सहित आंख में पड़े किसी भी चीज को बड़े ही कुशलता से सहज ही निकाल लेती है।वह पिछले करीब 43 वर्षों से यह काम कर रही हैं
मनोरमा के घर हाटकोट पँचायत कुनिहार में सुबह से लोग पहुंच जाते हैं वह निस्वार्थ इस कार्य को करती है ताकि उसके हाथों से सभी का भला होता रहे।सर्वप्रथम उसने अपने पड़ोस की एक बच्ची की आंख से कूड़ा निकाला था। उसके बाद से यह सिलसिला आज तक जारी है।इस कला को वह भगवान का आशीर्वाद मानती है। छोटी सी माचिस की तीली में रूई लगाकर वह आसानी से आंख से कूड़ा निकाल देती हैं।
इसके अतिरिक्त आंख में पड़े कांच या लोहे के कणों को बॉयल्ड सुई ,ब्लेड या प्लकर की मदद से सहज ही निकाल लेती है
उन्होंने बातचीत में बताया कि उनके पास कैंसर स्पेसलिस्ट डॉ परिहार व आंखों के स्पेसलिस्ट डॉ जिनकी आंखों में इंजेक्शन की ट्युब का कांच गिरा था उसे भी निकाल चुकी है।
इन 43 वर्षों में वह हजारो लोगो की आंखों से कई तरह का कूड़ा कचरा निकाल चुकी है।मनोरमा ने सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अर्की में प्रशिक्षण भी लिया है। उनको इस जनहित कार्य के लिए पंचायत व कई सामाजिक संगठन सम्मानित कर चुके है। सामाजिक सेवाओं के लिए वह डी.सी. सोलन द्वारा भी सम्मानित हो चुकी हैं। उन्हें इस बात का मलाल है कि उन्हें आज तक किसी भी सरकार से प्रोत्साहन नहीं मिला।
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