आस्था व श्रद्धा का अभूतपूर्व स्थल है रिहाल कुंडी, यंहा पर किसी भी तरह की मन्नत मांगने पर होता है हर समस्या का निदान



पांड्वो को समर्पित यह स्थल पंच पीर के नाम से विख्यात । 





कुनिहार से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर कुणी खड्ड के साथ है आस्था पूरक स्थल रिहाल कुंडी।रिहाल कुंडी पहुंचने के लिए कुनिहार डुमेहर मार्ग या फिर कुनिहार नालागढ़ मार्ग पर कुणी पुल से भी पहुंचा जा सकता है।जनश्रुति के अनुसार कुणी खड्ड की निर्मल धारा के साथ ही लोगो के आस्था व श्रद्धा का यह स्थल है।पांडव अज्ञातवास के दौरान इस स्थल पर रहे होंगे।पांच पांड्वो की तपोस्थली होने की वजह से रिहाल कुंडी मनवांछित फल देने वाली स्थली के नाम से विख्यात हो गई होगी।


पंच पीर अर्थात पांच पांडव जो की सभी की मुरादों को कालातंर से पूरी करते आ रहे है,आज भी उन्ही के आशीर्वाद से लोगो की इस स्थान के प्रति अटूट आस्था बनी हुई है।पांड्वो को समर्पित यह स्थल पंच पीर के नाम से भी विख्यात है। मनोकामना पूरी होने पर लोग इस स्थान के पास नदी से पांच पत्थरो पर मौली कपड़ा लपेट कर फूल,अक्षत,सिंदूर से पूर्ण श्रद्धा से पूजन करते है। जनश्रुति के अनुसार कुनिहार,बाघल व पट्टा महलोग,नालागढ़ व हंडूर रियासत के लोग अपने पशुओं के नए दूध पर होने पर रिहाल कुंडी में पंच पीर पांडवों को खीर बना कर भोग लगाते थे।


एक किवंदन्ति के अनुसार कालांतर में इस स्थान के पास नदी में हाथ डालकर बर्तनों की मांग भी पूरी होती थी।नदी से खीर खिचड़ी या अन्य प्रसाद बनाने के लिए टोकने ,कड़ाई आदि जरूरत के बर्तन स्वयं नदी से याचना करने पर मिल जाते थे।परन्तु आज नदी से बर्तन तो नही मिलते,परन्तु लोगो की आस्था पूर्वत आज भी बनी हुई है।लोग आज भी गाय भैंस के नए दूध का पहला चढ़ावा रिहाल कुंडी में ही पंच पीर को चढ़ाते है। किसी भी तरह की मनोकामना के पूरी होने पर अक्सर लोग यंहा पर खीर ,खिचड़ी के अतिरिक्त मुर्गा,बकरा भी चढ़ाते है। 

लोगो के अनुसार बरसात में नदी चाहे कितनी भी चढ़ जाए,परन्तु इस स्थान को पानी नही छूता। लोगो की विकट से विकट समस्याओं का निराकरण होने पर अक्सर सोमवार व बुधवार के दिन चढ़ावे में बकरा व अन्य पशु बली देते हुए भी लोग यंहा देखे जा सकते है।नदी के साथ ही पहाड़ी पर रिहाल कुंडी देवी का मंदिर भी बना हुआ है।इस मंदिर को कुनिहार के स्वर्गीय राम लाल व्यवसायी द्वारा बनवाया गया था।सोमवार व बुधवार को स्थान पर लोगो की भारी भीड़ रहती है।




Source: Akshresh Sharma

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