जिस दिन आस्था के नाम पर किया गया दान गरीबो की मदद में काम आएगा उस दिन मेरा भारत महान कहलाएगा

हम ऐसे लोगो की मदद करने से पिछे क्यों रहते हैं जिनको आज मदद की सब से ज्यादा जरूरत होती है लोग आस्था के नाम पर लाखों लुटा देते हैं। परंतु अगर जरूरतमंदों  की मदद करने की बात आए तो अपने हाथ पिछे कर लेते हैं। जब अच्छे परिवार के बच्चों को उनकी  मां अपने हाथों से फल या खाना खिला रही होती है तब गरीबी से झुज रहे नोनीहाल खाने की तलाश में भटक रहे होते हैं। कुड़े कचरे के ढेर में अपने भविष्य को तलाश रहे नौनिहालों को अपने भविष्य की कोई चिंता नहीं है। उन्हें  दो वक्त का खाना मिल जाए बस।
क्या हम उनकी जिंदगी संवारने में एक पहल नहीं कर सकते। अगर हमारी कुंडली में ग्रह दोष  आ जाए तो हम उनके निवारण के लिए बिना सोचे समझे लाखों व्यर्थ कर देते हैं परंतु यही पैसा किसी जरूरतमंद की जिन्दगी बनाने में लग जाए तो इस से बड़ा पुन्य कुछ भी नहीं हो सकता ।अगर आपके आसपास कोई जरूरतमंद लोग दिखे तो उनकी तरफ मदद का हाथ जरूर बढाएं। भारतवर्ष में ना जाने कितने लोग रोजमर्रा की जिंदगी में भुखमरी के कारण मर जाते हैं। आज इंसान ने  इंसान को ही खुद का दुश्मन बना रखा है। अगर हर इंसान जो सक्षम है हर एक जरुरतमंद गरीब परिवार का हाथ थाम ले तो कभी भी गरीबी पनप नहीं सकती। 
भारतवर्ष में आस्था के नाम पर बडी बडी समितियां काम कर रही है जो लगातार भंडारे का आयोजन करवाती है। निर्धन लोगों के साथ वंहा सक्षम लोग भी प्रशाद ग्रहण करते  हैं। मंदिर में पत्थर की मूर्तियों को आलिशान मंदिररूपी भवन के रूप में बदल दिया गया  हैं क्या कभी ऐसी कमेटी भी तैयार होगी जो जरूरतमंद परिवारों के लिए जो जिंदगी की तलाश में भटक रहे  है उनके लिए रहने को छत खाने को दो वक्त की रोटी दे सकें।मेरा भारत तब महान कहलाएगा जिस दिन मंदिरों में दान किया गया पैसा बेघर गरीबों के लिए घर व मंदिरों में दान किया गया सोना किसी गरीब लडकी की शादी में उसके गले की शान बनेगा।  




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