पत्नी बोली पहले घर मेरे नाम करो तभी जाएगी अन्तिम संस्कार के लिए पति की अर्थी


हरियाणा के पानीपत में पति की अर्थी उठने से पहले ही मकान को लेकर पत्नी ने हंगामा खड़ा कर दिया. पत्नी की जिद के आगे झुककर परिजनों को शव का अंतिम संस्कार छोड़कर मकान की रजिष्ट्री कराने के लिए तहसील जाना पड़ गया.हरियाणा के पानीपत में पति की अर्थी उठने से पहले ही मकान को लेकर पत्नी ने हंगामा खड़ा कर दिया. पत्नी की जिद के आगे झुककर परिजनों को शव का अंतिम संस्कार छोड़कर मकान की रजिष्ट्री कराने के लिए तहसील जाना पड़ गया. 
पति बालकिशन की मृत्यु के बाद पत्नी ने परिजनों के आगे यह शर्त रख दिया कि शव यात्रा से पहले मकान मेरे नाम लिख दो, अन्यथा वह अर्थी नहीं उठने देगी. दो घंटे की बहस के बाद परिजन पत्नी के नाम घर करने के लिए तैयार हो गए और तहसील जाकर परिवार के सभी सदस्यों ने कागज हस्ताक्षर कर दिए. 
दरअसल, मकान मृतक बालकिशन की बहन के नाम था और पत्नी को यह आशंका थी कि पति का अंतिम संस्कार होने के बाद उसे घर से निकाल बाहर न कर दिया जाए.यह परिवार पानीपत के गीतिका विहार में रहता है. पति की मौत सिर्फ 37 साल में हार्ट अटैक के कारण हो गई. गीतिका विहार के यह मकान बालकिशन के बहन के नाम से था. बहन शादी के अपने ससुराल में रह रही है.



हालांकि मकान अभी भी पति के बहन के नाम ही था. ऐसे में मृतक की पत्नी को लगा कि पति की मौत हो गई है और कहीं अंतिम संस्कार के बाद उसकी ननद उसे घर से बाहर ना निकाल दे. यही वजह है कि उसने परिजनों के सामने घर अपने नाम कराने की शर्त रख दी. परिजनों ने शव को अगले दिन तक सुरक्षित रखने के लिए फ्रिजर मंगवा लिया ताकि अगले दिन तक उसे सुरक्षित रखा जा सके.
बीते मंगलवार की सुबह जब शव को फ्रिजर से बाहर निकालकर श्मशान लेने जाने की तैयारी होने लगी तब पत्नी व उसके परिजनों ने ससुराल पक्ष के सामने मकान का जिक्र छेड़ दिया. पहले तो संस्कार के बाद हिस्से की बात करने को लेकर टालते रहे. पत्नी के मायके पक्ष ने इस बात पर जोर देना शुरू किया कि संस्कार से पहले मकान उनकी बेटी के नाम कर दी जाए. पड़ोसियों के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्ष मकान के कागजात तैयार करवाने के लिए तहसील कार्यालय पहुंचे और मकान पत्नी के नाम कर दिया.

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