जीवन में सफलता उन्हें ही मिलती है,जिनके सपनो में जान होती है।पंखों से कुछ नही होता ,हौसलों से उड़ान होती है।
इन पंक्तियों को साकार किया है कुनिहार विकास खण्ड के मान पंचायत के छोटे से गांव जयालंग की कविता ने।बचपन मे देखे इस सपने को इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला से एमबीबीएस पास कर डॉ० बनकर आज कविता अपनी पंचायत की पहली एमबीबीएस डॉक्टर बन चुकी हैं जिसका श्रेय कविता ने अपने माता पिता तथा पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को दिया है ।
उन्होंने कहा कि यदि समय रहते प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मेरी मदद ना करते तो शायद आज मैं इस मुकाम पर नहीं पहुंच पाती। बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाली कविता के पिता रूपलाल खेतीबाड़ी करते हैं तथा माता लीला देवी गृहणी है ।सातवीं कक्षा के बाद जेएनवी कुनिहार में 12वीं तक पढ़ी कविता की शिक्षा में बहुत रुचि थी तथा बचपन से ही उसने डॉक्टर बनने का सपना देख रखा था कविता कहती हैं कि जब वह हॉस्पिटल में जाती थी तो वहां तैनात डॉक्टरों को देख कर उसका मन भी डॉक्टर की कुर्सी पर बैठने का होता था ।
परंतु बीपीएल परिवार से संबंध रखने वाली कविता पिता की आर्थिक स्थिति देखकर डॉक्टर बनने के सपने को छोड़ देती थी ।कविता के पिता ने उसकी पढ़ाई की रुचि को देखते हुए यह फैसला किया कि उन्हें चाहे अपने खेत गिरवी क्यों न रखने पड़े लेकिन कविता को डॉक्टर बनाकर ही दम भरेंगे।कविता ने अपने पिता के इस हौंसले व प्रेरणा से एमबीबीएस की तैयारी शुरू कर दी।
इस बीच एमबीबीएस पास आउट करने के बाद कविता ने तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक पत्र लेिखा तथा उनके निवास हॉली लोज में मिले। जहां उन्होंने अपनी सारी व्यथा मुख्यमंत्री के सामने सुनाई तो मुख्यमंत्री ने भी तुरंत यह फैसला लिया कि डॉक्टर बनने तक का उसका सारा खर्चा सरकार वहन करेगी।
कविता तथा उसके माता-पिता का खुशी का ठिकाना नहीं रहा तथा दिसंबर 2018 उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल कर ली।आज वह डॉक्टर बन चुकी है डॉक्टर कविता का कहना है कि जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री की सहायता से वह आज डॉक्टर बन चुकी है।वह भी जीवन में हर गरीब आदमी की सहायता करेंगी।कविता ने कहा कि यदि उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उसकी सहायता ना की होती तो वह अपने सपने को पूरा नही कर पाती।
@akshresh sharma
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