हिमाचल प्रदेश जिला सोलन के कुनिहार जनपद से गांव खनोल की पुनीत माटी में मां महाजनु देवी के गर्भ से ठाकुर गोसाउं राम के यहां भाद्रपद 24 संवत 1924 को एक ऐसी महान विभूति का जन्म हुआ,जो की हिमाचल प्रदेश के विकास का प्रतीक बने। 28 जनवरी 1984 को हिमाचल प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी का स्वर्गवास दिल्ली में हृदय गति रुक जाने से हुआ ।उनके जीवन का हर एक पल सामाजिक विकास की बहु आयामी निष्ठाओं से संबंध रहा है।
एक और जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में समस्त भारतवर्ष एकजुट होकर भारतवर्ष के स्वंत्रता संग्राम में अपने को आहूत कर रहा था,उसी समय इकतीस छोटी-बड़ी पश्चिम व उत्तर भारत की रियासतों के राजाओं व राणाओं को उनके निरंकुश शासन से हटाने के लिए एक संग्राम भीतर ही भीतर ज्वालामुखी का रूप धारण कर चुका था। स्वाधीनता संग्राम के नाम पर प्रजामंडल के गठन का महत्वपूर्ण भूमिका को श्रेय जाता है ।
कुनिहार ,कुठाड़,महलोग,बघाट, नालागढ़,बाघल और बेजा रियासतों के भीतर प्रजामंडल में 1943 से 45 में प्राण फूंकने का श्रेय दिवंगत ठाकुर हरिदास को रहा और इन्होंने दीर्घकाल तक इस गरिमा को बनाए रखा । 15 अप्रैल 1948 को 31 छोटी-बड़ी रियासतों का विलय हुआ और हिमाचल प्रदेश अस्तित्व में आया हिमाचल प्रदेश के अस्तित्व में आने के पश्चात हिमाचल में निर्माता व पहले मुख्यमंत्री वाईएस परमार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर हिमाचल का उद्भव विकास की ओर प्रवृत्त करने का समूचा श्रेय स्व० ठाकुर हरिदास को जाता है ।
जनमानस के प्रति निष्काम सेवा का ही प्रतिफल है कि वर्ष 1962 से 1967 के अंतराल में हिमाचल प्रदेश के विकास मंत्री के अतिरिक्त आपने परिवहन ,वन राजस्व और उद्योग विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों का कुशल संचालन करके लोगो के विश्वास को जीता।कुनिहार जनपद में बीडीओ कार्यालय और जिला स्तर का वन विभाग कार्यालय खुलवाया।
जिला सोलन को औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित होने का श्रेय भूतपूर्व विकास मंत्री स्व०ठाकुर हरिदास को ही है।भू संरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत चेक डैम का निरूपण,वन विभाग को लेकर आम जनता के लिए वृक्षा रोपण व वन की समूची योजनाओं को जनमानस के लिए सुरक्षित रखने का स्वामित्व दिलाने की बात ,प्रदेश की हरित क्रांति व श्वेत क्रांति के विकास में योगदान के लिए आज भी स्व० ठाकुर हरिदास याद किये जाते है।
प्रदेश के बहुआयामि विकास के तहत सड़को का जाल बिछाकर सड़को के निर्माण में नए मील पत्थर स्थापित करना हो या फिर 1970 में खेतिहर संघ स्थापना व 1977 में हिम किसान साप्ताहिक पत्र का प्रकाशन सभी कार्य जनहित की एक ओर विकास की एक कड़ी थे।प्रदेश के किसानों व बागवानों के हितों की सुरक्षा और विकास के लिए वर्ष 1977 में किसान दल की स्थापना भी विकास के योग में एक महत्वपूर्ण पहलू बना।
स्व०ठाकुर हरिदास का व्यक्तित्व इतना प्रखर हुआ कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई,डॉ राम सुगम सिंह व चौधरी चरण सिंह जैसे राष्ट्रीय नायकों का सानिध्य उन्हें मिला। हिमाचल प्रदेश के स्वाधीनता संग्राम की सेवाओं का ही परिणाम था,कि स्व०ठाकुर हरिदास प्रदेश के गणमान्य स्वंत्रता सेनानियों की उपाधि से भी अलंकृत हुए।
इन उपलब्धियों को देखते हुए इस बात की अतिशयोक्ति नही कि यदि यह व्यक्तित्व आज हमारे प्रदेश में होता तो प्रदेश विकास की सभी सीमाओं को लांघ कर भारत वर्ष के मानचित्र पर विशेष स्थान बनाता।वास्तव में स्व०ठाकुर हरिदास का व्यक्तित्व व उनके कार्य आज भी हमारे लिए प्रेरणा स्त्रोत है।हमे उनके बताए मार्ग पर प्रशस्त होने की आवश्यकता है।
@akshresh sharma
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