यूं तो वफादारी की लाखों कहानियां हैं जिसने खूब वाह-वाही बटोरी हैं। वैसे वफादारी के मामले में इंसान से लेकर जानवर तक पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके हैं। लेकिन कुल मिला जुलाकर देखा जाए तो इसमें कहीं न कहीं इंसानों के मुकाबले जानवर हमेशा एक कदम आगे ही रहे हैं। इसके पीछे एक मेन वजह ये है कि इंसान की वफादारी के पीछे उनका मतलब भी जुड़ा होता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऐसे सभी मामलों में इंसान वफादारी के बदले अपना मतलब देखता हो, लेकिन कई मामलों में ऐसा होता ही है।
फिर भी कहानियां जो भी हो, लेकिन कुत्तों की वफादारी वही जानता है जिसने किसी कुत्ते को पाल रखा होगा या अभी भी पाल रहे हैं। जिस कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, हो सकता है इसे सुनकर आपकी आंखें भर आएंगी। इस कहानी को सुनने के बाद आप उस वफादार कुत्ते के फैन हो जाएंगे, जिसकी कहानी हम बताने जा रहे हैं। दरअसल जिस कुत्ते की हम बात कर रहे हैं उसने वफादारी के मामले में पूरी दुनिया में अपनी मिसाल कायम कर दी है। बताया जाता है कि दक्षिण कोरिया के इस कुत्ते ने करीब तीन साल तक अपने मालिक का इंतज़ार किया। इंतज़ार भी ऐसा कि इस कुत्ते ने एक बंद दरवाजे के पास ही तीन साल बिता दिए। पूरा वाक्या बुसान सिटी का है।
कुत्ते का नाम फू शी है। जिसे एक बूढ़ी औरत ने सड़क से उठाकर अपने घर ले आई थी और कुत्ते का नामकरण कर दिया था। कहते हैं कि फू शी ने अपनी मालकिन के साथ काफी समय बिताया जो एक बेहद शानदार दौर था। लेकिन कुदरत की मार ऐसी पड़ी कि कुत्ते की मालकिन बूढ़ी औरत को ब्रेन हैम्ब्रेज हो गया था। भयानक बीमारी के बाद अस्पताल में बूढ़ी अम्मा ने दम तोड़ दिया। अम्मा की मौत के बाद बेचारा फू शी बिल्कुल अकेला हो गया। उसकी देखभाल करने वाला अब इस दुनिया कोई नहीं था।
अपनी मालकिन की मौत के बाद बेचारा कुत्ता दर-दर की ठोकरें खाने लगा। दिन भर कोरिया की सड़कों पर भटकने के बाद वह शाम को अम्मा के घर के बंद दरवाज़े पर जाकर बैठ जाता था। फू शी दरवाज़े पर बैठकर ही अम्मा का इंतज़ार करता रहता था। ऐसे ही करते-करते उसने तीन साल गुज़ार दिए। इस मुश्किल की घड़ी में उसे वहां के कुछ लोग खाना खिला देते थे। लेकिन अपनी मालकिन के बिना कुत्ते के हलक से वो खाना नीचे उतरता ही नहीं था। आस-पास के लोग बताते हैं कि फू शी अम्मा के इंतज़ार में एक भी दिन की छुट्टी नहीं की, वह डेली शाम को दरवाज़े पर उनका इंतज़ार करता था। जिसे बाद में पशु विभाग वाले उसे अपने साथ लेकर चले गए। हालांकि सोशल मीडिया पर फू शी की कहानी वायरल होने के बाद उसे अडॉप्ट कर लिया गया।
फिर भी कहानियां जो भी हो, लेकिन कुत्तों की वफादारी वही जानता है जिसने किसी कुत्ते को पाल रखा होगा या अभी भी पाल रहे हैं। जिस कहानी के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, हो सकता है इसे सुनकर आपकी आंखें भर आएंगी। इस कहानी को सुनने के बाद आप उस वफादार कुत्ते के फैन हो जाएंगे, जिसकी कहानी हम बताने जा रहे हैं। दरअसल जिस कुत्ते की हम बात कर रहे हैं उसने वफादारी के मामले में पूरी दुनिया में अपनी मिसाल कायम कर दी है। बताया जाता है कि दक्षिण कोरिया के इस कुत्ते ने करीब तीन साल तक अपने मालिक का इंतज़ार किया। इंतज़ार भी ऐसा कि इस कुत्ते ने एक बंद दरवाजे के पास ही तीन साल बिता दिए। पूरा वाक्या बुसान सिटी का है।
कुत्ते का नाम फू शी है। जिसे एक बूढ़ी औरत ने सड़क से उठाकर अपने घर ले आई थी और कुत्ते का नामकरण कर दिया था। कहते हैं कि फू शी ने अपनी मालकिन के साथ काफी समय बिताया जो एक बेहद शानदार दौर था। लेकिन कुदरत की मार ऐसी पड़ी कि कुत्ते की मालकिन बूढ़ी औरत को ब्रेन हैम्ब्रेज हो गया था। भयानक बीमारी के बाद अस्पताल में बूढ़ी अम्मा ने दम तोड़ दिया। अम्मा की मौत के बाद बेचारा फू शी बिल्कुल अकेला हो गया। उसकी देखभाल करने वाला अब इस दुनिया कोई नहीं था।
अपनी मालकिन की मौत के बाद बेचारा कुत्ता दर-दर की ठोकरें खाने लगा। दिन भर कोरिया की सड़कों पर भटकने के बाद वह शाम को अम्मा के घर के बंद दरवाज़े पर जाकर बैठ जाता था। फू शी दरवाज़े पर बैठकर ही अम्मा का इंतज़ार करता रहता था। ऐसे ही करते-करते उसने तीन साल गुज़ार दिए। इस मुश्किल की घड़ी में उसे वहां के कुछ लोग खाना खिला देते थे। लेकिन अपनी मालकिन के बिना कुत्ते के हलक से वो खाना नीचे उतरता ही नहीं था। आस-पास के लोग बताते हैं कि फू शी अम्मा के इंतज़ार में एक भी दिन की छुट्टी नहीं की, वह डेली शाम को दरवाज़े पर उनका इंतज़ार करता था। जिसे बाद में पशु विभाग वाले उसे अपने साथ लेकर चले गए। हालांकि सोशल मीडिया पर फू शी की कहानी वायरल होने के बाद उसे अडॉप्ट कर लिया गया।
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