कुनिहार जनपद के लिये आकर्षण का केंद्र बने नासिक महाराष्ट्रा से पधारे नदी महाराज ।


कुनिहार(सोलन)

हिंदू संस्कृति में भगवान शिव का विशेष महत्त्व है व उनके वाहन नंदी बैल का भी विशेष उल्लेख आता है।नंदी को शिव का द्वारपाल भी कहा जाता है । नंदी खुद भी शिव भक्त है। नंदी को शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है ।संस्कृत में नदी का अर्थ प्रसन्नता होता है और इसलिए नंदी को जीवन में प्रसंता का स्रोत भी कहा जाता है ।एक प्रसंग के अनुसार शिलाद ऋषि को शिवजी के वरदान के अनुसार खेतों में मिले पुत्र को उन्होंने नंदी का नाम दिया व उसे बहुत सारी विद्याओं से परांगत किया।परन्तु ऋषियों के अनुसार नंदी की आयु ज्यादा ना होने के कारण शिलाद ऋषि परेशान हो गया,लेकिन उनका पुत्र नन्दीएस बात से जरा से भी विचलित नही हुए व भुवन नदी के तट पर शिव आराधना में लीन हो गए।भोले शंकर ने उसकी तपस्या से प्रसन्न हो कर आशीर्वाद(वर) मांगने को कहा तो नन्दी ने भोले शंकर का सानिध्य मांग लिया।इसके पश्चात शिव ने नन्दी को गले लगाया व उन्हें बैल का चेहरा देकर अपना वाहन बना लिया।



ऐसा ही दृश्य आज कुनिहार बाज़ार में देखने को मिला जब शिरडी नासिक महाराष्ट्र से कुछ लोग नन्दी बैल को लेकर पहुंच गए।नन्दी महाराज के साथ समाधान नागधन गंगामई,सम्भाजी गोडे व जालिंदर कनाडो ने बातचीत में बताया कि यह नन्दी सौराष्ट्र गुजरात से लाया गया है व हजारो बैलो में इस तरह का नन्दी कोई एक होता है।काँग्रेज नस्ल का बड़े बड़े सींगों वाला यह नन्दी कुनिहार बाजार में लोगो के आकर्षण का केंद्र रहा।लोग नन्दी के साथ आये महात्माओं से अपनी समस्याओं को पूछते नजर आए।समाधान बाबा ने बताया कि नन्दी महाराज की कृपा से जिन महिलाओं के सन्तान नही होती उन महिलाओं को नन्दी महाराज की कृपा व आशीर्वाद से सन्तान सुख मिलता है।इसी तरह व्यापार व अन्य समस्याओं के बारे में समाधान सहित भविष्य के बारे में नन्दी जी महाराज बताते है।

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