कुनिहार में चल रही राम लीला के दूसरे दिन दिखाई गई सीता जन्म की लीला



कुनिहार(सोलन) 

 कुनिहार में चल रही राम लीला के दूसरे दिन सीता जन्म की लीला दिखाई गई। वही रामलीला के दूसरे दिन बाबा बालक नाथ की भव्य झांकी से कार्यक्रम का आगाज हुआ व बतौर मुख्य अतिथि कुनिहार क्षेत्र के समाजसेवी व जिला हॉकी संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जगदीश अत्री ने आरती की व समिति को 2100 रु की राशि दी। रामलीला में जंहा दूसरे दिन  मातृ पितृ भक्त श्रवण कुमार की लीला दिखाई गई। पुराने व नए कलाकारों का अभिनय देखते ही बनता है।रावण दरबार से रावण के आदेश पर मेघनाथ सैनिकों सहित जंगल मे तपस्वी  साधु महात्माओं से भी कर के रूप में उनका रक्त निकाल लेते है व मिथिला की सीमा पर उस रक्त के घड़े को जमीन में दबा देते है।इसके पश्चात जनक दरबार लगता है व अकाल पड़ने की स्थिति में गुरुदेव के कहने पर वे स्वर्ण हल बनवा कर अकाल से निपटने के लिए हल चलाते है व जमीन से घडा निकलता है व सीता का जन्म होता है।इसके पश्चात दशरथ दरबार मे श्रवण गुरु वशिष्ठ से अपने अंधे माता पिता के उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति के बारे में पूछने आते है। गुरु वशिष्ठ के कहे अनुसार श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता को विभिन्न तीर्थो के दर्शन करवाते हुए जब अवध की सीमा में पहुंचते है।राजा दशरथ जंगली जानवर होने के आभास पर शब्द भेदी बाण चलाते है जो कि श्रवण कुमार को लगता है व उस की मृत्यु हो जाती है।दशरथ श्रवण के अंधे माता पिता के पास पहुंचते है व उन्हें श्रवण की मृत्यु का समाचार सुनाते है जिस पर श्रवण के माता पिता दशरथ को श्राप देते है कि जिस तरह पुत्र वियोग में हम तड़फ तड़फ कर जान दे रहे है एक दिन तू भी पुत्र वियोग में मरेगा।संदीप जोशी व राधा रमन शर्मा के निर्देशन में राम लीला का सुंदर मंचन राज दरबार कुनिहार में किया जा रहा है।विदित रहे कि पिछले 33 वर्षों से लगातार रामलीला का मंचन रामलीला जन कल्याण समिति के सौजन्य से किया जा रहा है।

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