नई दिल्ली
मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम के तहत अब समाचारों के प्रकाशन और रिपोर्टिंग के लिए अपनाने होंगे मापदंड… भारतीय प्रेस परिषद (प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया) पीसीआई ने आत्महत्या मामलों की रिपोर्टिंग और मानसिक रोग की रिपोर्टिंग एवं समाचार प्रकाशन के लिए आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया है। मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017, की धारा 24 (1) के तहत मानसिक रोग से संबंधित समाचारों और आत्महत्या की खबरों के प्रकाशन और रिपोर्टिंग के लिए अब भारतीय प्रेस परिषद द्वारा तय मापदंड अपनाने होंगे।
परिषद द्वारा तय मापदंडों के अनुसार समाचार पत्र या समाचार एजेंसी अब मानसिक स्वास्थ्य संस्थान या अस्पताल में उपचार करा रहे किसी व्यक्ति के संबंध में तस्वीर या किसी अन्य जानकारी को प्रकाशित नहीं कर सकेंगे। इसके साथ-साथ परिषद ने प्रिंट मीडिया को यह भी निर्देशित किया है कि मानसिक देखभाल अधिनियम, 2017 की धारा 30 (ए) के अनुसार, समय-समय पर अपने प्रकाशन माध्यम (प्रिंट मीडिया) में उक्त अधिनियम का व्यापक प्रचार भी करेगा।
परिषद ने आत्महत्या को रोकने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट को आधार मानते हुए आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग और रिपोर्टों की प्रस्तुति के लिए दिशानिर्देशों को अपनाकर मापदंड तय किए गए हैं। समाचार पत्रों और समाचार एजेंसियों को समाचार प्रकाशित करते वक्त कुछ बातों का ध्यान देना होगा। यानि उन्हें आत्महत्या के मामलों की रिपोर्टिंग करते वक्त विशेष ध्यान देते हुए कुछ बातों का समावेश समाचार या रिपोर्ट में नहीं करनी होगी जैसे –
कुछ ऐसी कहानियां जो आत्महत्या से जुड़ी हों उन्हें प्रमुखता में ना रखें और उन कहानियों को ना दोहराएं। अर्थात आत्महत्या के प्रमुख स्थानों और कहानियों की पुर्नावृत्ति से बचें ।
ऐसी भाषा का उपयोग ना करें जो आत्महत्या को सनसनीखेज़ या सामान्य करती हैं, या इसे समस्याओं के समाधान के रूप में प्रस्तुत करती हैं ।
आत्महत्या के लिए उपयोग की गई विधि के वर्णन या आत्महत्या के प्रयास में प्रयुक्त विधि का विवरण समाचार में ना करें।
आत्महत्या के स्थान ( सुसाइट प्वाइंट) का विवरण ना दें।
आत्महत्या के मामलों की खबरों में सनसनीखेज सुर्खियों का उपयोग ना करें।
आत्महत्या के मामले की रिपोर्टिंग या समाचार प्रकाशन के दौरान फोटोग्राफ, वीडियो फुटेज या सोशल मीडिया लिंक का उपयोग ना करें आदि।