हिमाचल प्रदेश के शिक्षक डॉ. संजीव कुमार को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर फॉर कॉन्ट्रिव्यूशन टू स्टूडैंट डिवैलपमैंट के अवार्ड से नवाज़ा


कुनिहार (देवेंद्र तनवर)

विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षक एक ऐसा महत्वपूर्ण इंसान होता है जो अपने ज्ञान, धैर्य, प्यार और देख-भाल से उसके पूरे जीवन को एक मजबूत आकार देता है।वह एक दीपक की भांति स्वयं जलकर अपने विद्यार्थियों को प्रकाशवान बनाता है । तभी आज भी शिक्षक को बच्चों का भविष्य निर्माता कहा जाता है । बच्चे शिक्षक के मार्गदर्शन में ही अपने जीवन की राह में अग्रसर होते हैं । कुछ शिक्षक अपना तन-मन-धन से बच्चों को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित होते हैं । बात है ऐसे ही एक शिक्षक डॉ. संजीव कुमार की जो वर्तमान में जिला शिमला के जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, शामलाघाट में बतौर प्रवक्ता मनोविज्ञान कार्यरत हैं । इस अवसर पर जय देव नेगी, प्रधानाचार्य एवं डी. पी. ओ., डाइट शिमला ने खुशी जताई और डॉ. संजीव कुमार को स्टाफ की ओर से बधाई दी। 
 *डाईट शिमला के प्रवक्ता डॉ. संजीव कुमार को स्मार्ट सर्कटस इनोवेशन का  अवार्ड फॉर कॉन्ट्रिव्यूशन टू स्टूडैंट डिवेलपमैंट:* 

हिमाचल प्रदेश के शिक्षक डॉ. संजीव कुमार को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड फॉर कॉन्ट्रिव्यूशन टू स्टूडैंट डिवैलपमैंट प्रदान किया गया है । यह अवार्ड चण्डीगढ़ में होने वाले स्मार्ट सर्कटस इनोवेशन के इन्ट्रनेशनल एजूकेशन सिम्पोज़ियम में STEM Innovation, NASA, USA के निदेशक ट्रॉय डी. क्लाइन एवं इसरो के पदमश्री डॉ. वी. आदिमूर्ति द्वारा प्रदान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार बच्चों के शैक्षिक विकास के लिए किए गए कार्यों के लिए प्रदान किया गया है।

 *विद्यालय में सेवाएं देते बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु किए हैं कई आयोजन:* 

डॉ. संजीव द्वारा अपने राजकीय माध्यमिक विद्यालय, रूगड़ा में बतौर टी. जी. टी. नॉन मेडिकल कार्य करते हुए बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कई कार्यक्रम किए हैं जिनमें विषय विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान, ME ZONE - WE ZONE,  रक्तदान शिविर, पर्यावरण संरक्षण जागरूकता अभियान,  जैव विविधता संरक्षण हेतु अभियान, शैक्षिक भ्रमण,  गणित क्विज़,  वैदिक गणित एवं अबेकस प्रमुख हैं । यही नहीं,  इन कार्यक्रमों के परिणाम भी सकारात्मक हैं ।

 *विद्यालय के बच्चे प्रदेश,  राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो चुके हैं चयनित:* 

इनके विद्यालय के बच्चों ने विभिन्न गतिविधियों में प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर पर चयनित होकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है जिसमें माननीय शिक्षा मन्त्री एवं समस्त शिक्षा अधिकारियों के समक्ष वैदिक गणित और अबेकस की प्रस्तुति,  एक बच्चे का जैव विविधता दिवस के अवसर पर अपनी प्रस्तुति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर चयन, इन्डियन यूथ साईंस कांग्रेस - हमीरपुर में एक बच्चे की प्रस्तुति, तीन बच्चों की राष्ट्रीय साईंस फेयर में सहभागिता करने पर रजत पदक, एक बच्चे की अन्तर्राष्ट्रीय साईंस कांग्रेस, 2018 में चयनित और तीन बच्चों का अन्तर्राष्ट्रीय लाईफ स्किल ऑलम्पियाड, 2019 में भाग लेना शामिल हैं ।

 *दिव्यांग होते हुए भी किए अनोखे काम:*  

गौरतलब है कि यह टांग से दिव्यांग होते हुए भी ऊर्जावान और ओजस्वी बने रहते हैं । इनका संबंध हमीरपुर जिला के गाँव कैहरवीं से है और इनके पिता देव राज शर्मा लोक संपर्क विभाग से सेवानिवृत्त और माता सरोती देवी गृहणी हैं । इनकी धर्मपत्नी लता कुमारी भी गृहणी हैं और इनके दोनों बच्चे शगुन शैवी शर्मा (कक्षा छठी) व शुभम आनन्द शर्मा (कक्षा आठवीं) राजकीय मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, घणाहट्टी में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं । इन्होंने विद्यालय स्तर की शिक्षा हमीरपुर से ग्रहण की और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला से पी. एच. डी. शिक्षा की उपाधि प्राप्त की है । इसके अलावा इनका संबंध शिक्षा से सम्बन्धित अन्तर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय  स्तर की विभिन्न संस्थाओं से भी है । यह राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की 72 कान्फ्रेंस में भाग ले चुके हैं और शोध पत्र भी प्रकाशित कर चुके हैं ।                                               पहले भी राष्ट्रीय स्तर पर पाया है सम्मान: इससे पहले भी इन्हें भारत शिक्षा रत्न, राजीव गांधी आर्च फॉर एक्सलेंस और नेशनल बेस्ट साईंस टीचर जैसे सम्मान मिल चुके हैं ।
सच है यदि जज्बा हो तो किसी के लिए भी कुछ भी असम्भव नहीं है। प्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि ऐसे शिक्षक विद्यालय में सेवारत हैं । सभी शिक्षक वर्ग के लिए यह प्रेरणास्रोत हैं । इन्होंने यह सम्मान अपने विद्यालय के बच्चों और डाइट के प्रशिक्षु अध्यापकों को समर्पित किया है ।

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