दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए...राज

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                            मैं दिल्ली

 

हिमाचल प्रदेश,सोलन  (राज)

चक्रव्यूह राजनीति का चलाकर, गले में फंदा दे गए /
दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए //
 न नागरिकता गई मेरी ,ना नागरिकता गई तेरी /
अफवाहों ने रची सियासत, घुटी जिंदगी मेरी //
अरमानों ने बनाया जिसको, वो चौपट धंधा दे गए /
दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए //
ये शाहिन बाग,ये जाफरा बाग, है किसके लिए ?/
भाई ने भाई को मारा दूसरों के लिए ?//
रची जिसने साजिश, 38 लाशों का चंदा दे गये /
 दिल्ली को लोगों को एक और दंगा दे गए // 


मरा कौन, भड़काया किसने, चलेगी बहसबाजी /
 हारा कौन, जीता कौन है, चली है चालबाजी //
 चंद लोगों के बहकावे, मानवता को कंधा दे गए /
दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए //
सी ए ए ,एन पी आर,एन आर सी, एक बहाना है /
 चंद लोगों को अपनी कौम में, बुझी सियासत को चमकाना है //
 मरा क्या घर से कोई उनका, जो नफरत का झंडा दे गए /
 दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए //


हिंदू भी मेरा, मुस्लिम भी मेरा, कब छँटेगा ए अंधेरा /
 मैं भी भारतीय, तू भी भारतीय, कब होगा नया सवेरा //
 धर्म से पहले राष्ट्र प्रथम, शहीद ए फंडा दे गए /
दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए //
चक्रव्यू राजनीति का चलाकर गले में फंदा दे गए /
दिल्ली के लोगों को एक और दंगा दे गए //

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