सोलन (देव तनवर)
हिमाचल प्रदेश जिला सोलन अर्की के जल शक्ति मंडल की अधिशाषी अभियंता कँचन शर्मा जिनको उनके कार्यों के लिए "लेडी सिंघम" के नाम से भी जाना जाता है कंचन शर्मा को अर्की क्षेत्र में आए अभी चार महीने ही हुए हैं परन्तु उनमे अपने कार्य के प्रति इतनी लग्न है उन्होंने इस दौरान 30 पेयजल व सिंचाई योजनाओं का निरीक्षण कर लिया। लेकिन पिछले दिनों अपने मंडल की बैकर्वड एरिया उठाऊ "मांगल" पेयजल योजना का निरीक्षण कर उनका मन अपने विभाग के जल कर्मियों के लिए द्रवित हो उठा।
सोलन जिले के "काला पानी" की संज्ञा पाने वाले पिछड़े "मांगल " क्षेत्र की उठाऊ जल परियोजना पर अर्की हैडक्वार्टर से सुबह सात बजे दो घंटे गाड़ी के सफर व तीन घंटे की कांगणीधार के लगते खड़े पहाड़ की उतराई व चार घंटे वापसी घड़ी दुरुह चढ़ाई व गाड़ी तक एक घंटा पैदल चलते,चढ़ते,उतरते रात 10 बजे वो अपने निवास पर पहुंचे। शुरुआत में तृतिय व द्वितीय चरणों के निरीक्षण के बाद जब अपने कनिष्ठ अभियंताओं,जल कर्मियों व ठेकेदार जो वहां कार्य में लगे हैं ,टीम के साथ जब पहाड़ की तलहटी पर प्रथम चरण पर पहुंची तो अपने जलकर्मियों के लिए भावुक व नतमस्तक हो गई। बहुत मुश्किल है इन कठिन परिस्थितियों में काम करना।
आज जबकि हम कोरोना काल में अपने कर्त्तव्यों का वहन करते हुए अपने लिए सम्मान की अपेक्षा करते हैं ऐसे में यही जल कर्मी वर्षों से इन कठिन परिस्थितियों में दिन रात,गर्मी सर्दी, बरसात में भयानक जंगलों, नालों,खड्डों, शमशान घाटों के आसपास बनी स्कीमों में अकेले रात रात भर योजनाओं को चलाते हैं। सैंचुरी एरिया में बनी स्कीमों में बाघ,भालू, जंगली सूअर,सांप,बिच्छू व अन्य जंगली जानवरों की मुस्तैदी के चलते ये जलकर्मी चुपचाप अपने काम में लगकर हमें घर बैठे बिठाए सुचारु रूप से शुद्ध पानी की आपूर्ति तो करते ही हैं
साथ में विभाग के टैंको की सफाई,स्कीमों का रख रखाव,जल आबंटन, टूटी फूटी लाइनों की मुरम्मत,जन शिकायतों का फील्ड में निवारण,बहाव पेयजल योजनाओं की साफ सफाई व अन्य भांति भांति के फील्ड के कार्यों की देखरेख। ऐसे में उन्होने अपने सभी जलकर्मियों को नमन किया और जनता से अनुरोध की वे जलकर्मियों का सम्मान करें। ऐसे ही सभी विभागों में फील्ड स्टाफ की बहुत कमी है।जो हैं वो एक साथ दो तीन जगहों के कार्यों का निर्वहन करते हैं।
कभी टैक्निकल कारण,कभी गर्मियों के चलते पानी कम होने से प्रैशर कम होने का कारण,कभी किसी लाइन पर ज्यादा क्नेकशन के लोड होने का कारण,कभी गांव, पड़ोसी या रिश्तेदारी के चलते झगड़ों के कारण इन सब में जलकर्मी बहुत बार पिस जाता है। हालांकि उन्होंने कहा कि वो अपने जलकर्मियों को समय समय पर मोटिवेट करती रहती है कि वे उपभोक्ताओं से ठीक से पेश आएं और वो उनसे सीधे संवाद कर अपने मंडल के ब्लैक स्पाट चिन्हित किए करें ताकि आने वाले समय में इन चीजों को दुरुस्त कर लिया जाए जिसके लिए फंडज़ की आवश्यकता होती है।
सोलन जिले के "काला पानी" की संज्ञा पाने वाले पिछड़े "मांगल " क्षेत्र की उठाऊ जल परियोजना पर अर्की हैडक्वार्टर से सुबह सात बजे दो घंटे गाड़ी के सफर व तीन घंटे की कांगणीधार के लगते खड़े पहाड़ की उतराई व चार घंटे वापसी घड़ी दुरुह चढ़ाई व गाड़ी तक एक घंटा पैदल चलते,चढ़ते,उतरते रात 10 बजे वो अपने निवास पर पहुंचे। शुरुआत में तृतिय व द्वितीय चरणों के निरीक्षण के बाद जब अपने कनिष्ठ अभियंताओं,जल कर्मियों व ठेकेदार जो वहां कार्य में लगे हैं ,टीम के साथ जब पहाड़ की तलहटी पर प्रथम चरण पर पहुंची तो अपने जलकर्मियों के लिए भावुक व नतमस्तक हो गई। बहुत मुश्किल है इन कठिन परिस्थितियों में काम करना।
आज जबकि हम कोरोना काल में अपने कर्त्तव्यों का वहन करते हुए अपने लिए सम्मान की अपेक्षा करते हैं ऐसे में यही जल कर्मी वर्षों से इन कठिन परिस्थितियों में दिन रात,गर्मी सर्दी, बरसात में भयानक जंगलों, नालों,खड्डों, शमशान घाटों के आसपास बनी स्कीमों में अकेले रात रात भर योजनाओं को चलाते हैं। सैंचुरी एरिया में बनी स्कीमों में बाघ,भालू, जंगली सूअर,सांप,बिच्छू व अन्य जंगली जानवरों की मुस्तैदी के चलते ये जलकर्मी चुपचाप अपने काम में लगकर हमें घर बैठे बिठाए सुचारु रूप से शुद्ध पानी की आपूर्ति तो करते ही हैं
साथ में विभाग के टैंको की सफाई,स्कीमों का रख रखाव,जल आबंटन, टूटी फूटी लाइनों की मुरम्मत,जन शिकायतों का फील्ड में निवारण,बहाव पेयजल योजनाओं की साफ सफाई व अन्य भांति भांति के फील्ड के कार्यों की देखरेख। ऐसे में उन्होने अपने सभी जलकर्मियों को नमन किया और जनता से अनुरोध की वे जलकर्मियों का सम्मान करें। ऐसे ही सभी विभागों में फील्ड स्टाफ की बहुत कमी है।जो हैं वो एक साथ दो तीन जगहों के कार्यों का निर्वहन करते हैं।
कभी टैक्निकल कारण,कभी गर्मियों के चलते पानी कम होने से प्रैशर कम होने का कारण,कभी किसी लाइन पर ज्यादा क्नेकशन के लोड होने का कारण,कभी गांव, पड़ोसी या रिश्तेदारी के चलते झगड़ों के कारण इन सब में जलकर्मी बहुत बार पिस जाता है। हालांकि उन्होंने कहा कि वो अपने जलकर्मियों को समय समय पर मोटिवेट करती रहती है कि वे उपभोक्ताओं से ठीक से पेश आएं और वो उनसे सीधे संवाद कर अपने मंडल के ब्लैक स्पाट चिन्हित किए करें ताकि आने वाले समय में इन चीजों को दुरुस्त कर लिया जाए जिसके लिए फंडज़ की आवश्यकता होती है।
कँचन शर्मा ने कहा कि जब कोरोना लाक डाउन शुरू हुआ तो उन्होंने अपने मंडल के सभी जलकर्मियों से आवाहन किया कि वे लाक डाउन में जल की आपूर्ति पर सहयोग दें। उन्होंने कहा कि उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है कि मेरे सभी जलकर्मियों ने मुझे विश्वास दिलाया कि कुछ भी हो जाए वे जलापूर्ति बाधित नहीं होने देंगे और दिन रात सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए अपने कर्त्तव्य का वहन करेंगे और वो आज तलक कर रहे हैं। हालांकि उनको कोई सरकारी वाहन उपलब्ध नहीं हैं फिर भी वे बस सर्विसिज़ न मिलने की स्थिती में अपने निजी वाहनों तक का भी उपयोग कर रहे हैं जिनके उन्हें बाकायदा पास उपलब्ध करवाए गए हैं। उन्होंने कहा कि हम कोरोना काल में कार्यरत आज सभी स्वास्थय कर्मियों, पुलिस कर्मियों, पत्रकारों, अधिकारियों व सभी ऐशेंशियल सर्विसेज के लिए सम्मानित किया जा रहा है। अफसोस मेरा जलकर्मी इससे महरुम क्यों?
हम सब जानते हैं कि इस धरती पर जीने के लिए आवश्यक प्रथम तत्त्व अगर वायु है तो भोजन से पहले दूसरा आवश्यक तत्व " जल" है। कोरोना से सावधानी के लिए जल एक औषधि है। पीने से लेकर रोज मर्रा के काम,स्वच्छता, मवेशियों के लिए जल, सिंचाई के लिए जल,दवाई के लिए जल, अस्पताल,उद्योग ,बताएं जीवन का ऐसा कौन सा व्यवसाय है, व्यवहार है,क्रिया कलाप है जहां जल मौजूद नहीं।आज जबकि हमारी सरकार हमारे सम्मानीय चिकित्सक वर्ग को कोविड काल में जान जोखिम में डालकर मानव रक्षा के लिए सम्मानित कर रही है
उसका बीमा कर रही है वहीं मेरा हिमाचल सरकार से विनम्र अनुरोध है कि कोविड काल में दिन रात कार्यरत रहकर,अपनी जान को जोखिम में डालकर दूरस्थ,दुरुह, जटिल परिस्थितियों में भी काम करके जल की सुचारु आपूर्ति के लिए व कोरोना 2019 में अनिवार्य सेवाओं के तहत 50 लाख का बीमा योजना के तहत लाभान्वित करने की कृपा करें।ये जलकर्मी ऐसी भयंकर बीमारी में अपने व अपने परिवार की जान की परवाह किए बगैर बिना किसी साप्ताहिक अवकाश के सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए दिन रात अपने कार्य में तैनात हैं। यूं भी काल कोई भी हो जल तो वांछित ही रहता है।
हम सब जानते हैं कि इस धरती पर जीने के लिए आवश्यक प्रथम तत्त्व अगर वायु है तो भोजन से पहले दूसरा आवश्यक तत्व " जल" है। कोरोना से सावधानी के लिए जल एक औषधि है। पीने से लेकर रोज मर्रा के काम,स्वच्छता, मवेशियों के लिए जल, सिंचाई के लिए जल,दवाई के लिए जल, अस्पताल,उद्योग ,बताएं जीवन का ऐसा कौन सा व्यवसाय है, व्यवहार है,क्रिया कलाप है जहां जल मौजूद नहीं।आज जबकि हमारी सरकार हमारे सम्मानीय चिकित्सक वर्ग को कोविड काल में जान जोखिम में डालकर मानव रक्षा के लिए सम्मानित कर रही है
उसका बीमा कर रही है वहीं मेरा हिमाचल सरकार से विनम्र अनुरोध है कि कोविड काल में दिन रात कार्यरत रहकर,अपनी जान को जोखिम में डालकर दूरस्थ,दुरुह, जटिल परिस्थितियों में भी काम करके जल की सुचारु आपूर्ति के लिए व कोरोना 2019 में अनिवार्य सेवाओं के तहत 50 लाख का बीमा योजना के तहत लाभान्वित करने की कृपा करें।ये जलकर्मी ऐसी भयंकर बीमारी में अपने व अपने परिवार की जान की परवाह किए बगैर बिना किसी साप्ताहिक अवकाश के सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करते हुए दिन रात अपने कार्य में तैनात हैं। यूं भी काल कोई भी हो जल तो वांछित ही रहता है।
Very good work
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