कुनिहार (देव तनवर)
वैष्विक महामारी के चलते जब देश भर में लोकडॉन हुआ तो लोगों ने अपने घरों में तरह तरह का काम करना शुरू कर दिया था।किसी ने घर की सफाई,पेंटिंग तो किसी ने अपने बगीचे को सँवारना शुरू किया। परन्तु कुनिहार क्षेत्र के साथ लगती कोठी पंचायत के गांव बनिया देवी के धर्मेंद्र कुमार ने इस लोकडॉन का भरपूर फायदा उठाया और घर बैठे पुराने स्कूटरों से दो ट्रैक्टर तैयार कर दिये।
जानकारी देते हुए धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि वो लगभग 5 वर्षों से मेकेनिक का कार्य कर रहा है ओर वो एक मेहनतकस इंसान है।उन्हें समय बर्बाद करना सही नही लगता।
जब लोकडॉन कि देश मे स्थिति बनी और घर मे उनको कोई काम नही सुझा तो उन्होंने पुराने स्कूटर के इंजन से ट्रेक्टर तैयार कर दिए।
जब लोकडॉन कि देश मे स्थिति बनी और घर मे उनको कोई काम नही सुझा तो उन्होंने पुराने स्कूटर के इंजन से ट्रेक्टर तैयार कर दिए।
उन्होंने कहा की मेरी मकेनिकल की दुकान है और कुछ नया करने का जज्बा शुरू से ही मेरे मन था धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि पुराने इंजन से हल जोतने वाला ट्रैक्टर बनाने में शुरुआत में काफी समस्या आई, लेकिन बार-बार की मेहनत व लग्न से यह मुकाम हासिल कर लेने में सफल हुए।ये इंजीनियर नहीं बल्कि बारहवीं पास हैं। मात्र 3 हजार रुपये में तैयार किए इस ट्रैक्टर में तीन हल लगे हैं। रिंग व डबल रिंग तीन प्रकार के टायर वर्जन में बने इस ट्रैक्टर में एक लीटर पेट्रोल डालकर एक बीघा जमीन की जुताई की जा सकती है।
धर्मेंद्र ने बताया कि उन्होंने जितना ज्ञान था अपने कार्य का उपयोग कर स्कूटर के इंजन से हल जोतने वाले ट्रैक्टर में तबदील करने में सफलता प्राप्त की है।जबकि धर्मेदर कुमार बडोरि घाटी मे मैकेनिक की दुकाँन करता है।
उन्होंने ने बताया की जब लाॅक डाउन लगा था।और दुकाने बन्द थी तब घर मे रह कर एक पुराने स्कूटर से ट्रैकटर बनाने सूझा।क्यों की उनके खेतों मे ट्रैक्टर नही जाता था। तब तीन दिन में यह ट्रैक्टर बना दिया। जिसमें तीन हजार रुपए का खर्चा आया। जबकि बेल्डिंग मसीन व अन्य समान अपनी दुकाँन मे था।उन्होंने ने बताया की जिनके पास पुराना स्कूटर नही है तो उनको कबाड़ से पुराना स्कूटर लेकर दस से पन्द्रह हजार रुपए मे यह ट्रैक्टर तैयार सकता है।
उन्होंने ने बताया की जब लाॅक डाउन लगा था।और दुकाने बन्द थी तब घर मे रह कर एक पुराने स्कूटर से ट्रैकटर बनाने सूझा।क्यों की उनके खेतों मे ट्रैक्टर नही जाता था। तब तीन दिन में यह ट्रैक्टर बना दिया। जिसमें तीन हजार रुपए का खर्चा आया। जबकि बेल्डिंग मसीन व अन्य समान अपनी दुकाँन मे था।उन्होंने ने बताया की जिनके पास पुराना स्कूटर नही है तो उनको कबाड़ से पुराना स्कूटर लेकर दस से पन्द्रह हजार रुपए मे यह ट्रैक्टर तैयार सकता है।
धर्मेंदर कुमार के मुताबिक यह ट्रैक्टर हमारे क्षेत्रों के किसानों के लिए वरदान साबित होगा। इसे छोटी से छोटी जगह ले जाया जा सकता है। इसमें वाइब्रेशन न होने के कारण स्वास्थ्य पर भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
धर्मेंदर कुमार ने कहा कि इस ट्रैक्टर में भविष्य में बदलाव लाएंगे। इसमें खेत से कचरा, घास व अन्य खरपतवार की सफाई करने के लिए उपकरण लगाएं जाएंगे।
जुताई के साथ-साथ इस ट्रैक्टर से खेत की सफाई भी होगी। भविष्य में धर्मेंद्र कुमार ने ऐसा ट्रैक्टर बनाने की सोची है जिसमे बैठ कर हल जोता जा सके।उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगो को भी समाज सेवा के रूप में कबाड़ से सस्ता ट्रेक्टर बनाने के लिए उनकी मदद के लिए कहा है।ताकि जिन क्षेत्रों में बड़े ट्रेक्टर न पहुंच सके वँहा ये स्कूटर के इंजन से बना ट्रेक्टर पहुंच सकता है।
जुताई के साथ-साथ इस ट्रैक्टर से खेत की सफाई भी होगी। भविष्य में धर्मेंद्र कुमार ने ऐसा ट्रैक्टर बनाने की सोची है जिसमे बैठ कर हल जोता जा सके।उन्होंने अपने क्षेत्र के लोगो को भी समाज सेवा के रूप में कबाड़ से सस्ता ट्रेक्टर बनाने के लिए उनकी मदद के लिए कहा है।ताकि जिन क्षेत्रों में बड़े ट्रेक्टर न पहुंच सके वँहा ये स्कूटर के इंजन से बना ट्रेक्टर पहुंच सकता है।
अपने कार्य के शुरुआती दौर में यूट्यूब व अपने मकेनिकल कार्य के ज्ञान का उपयोग करके उन्होंने अपने घर मे पड़े पुराने स्कूटर को उसे हल जोतने वाले ट्रैक्टर में तबदील करने में सफलता प्राप्त की।
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