काले बुखार की तरह है कोरोना महामारी ...जगत राम वेश


कुनिहार (देव तनवर) 

 आज पूरा विश्व कोरोना जैसी वैष्विक महामारी से जूझ रहा है यह एक ऐसी मानवीय संक्रामक बीमारी है जिसके उपचार के लिए अभी तक कोई भी दवाई नही बनी है सभी देश इस बीमारी का उपचार ढूंढने में लगे है कहा जा रहा है कि कोरोना संक्रमण बहुत तेजी से बच्चो और बुढो में फैल रहा है।लोग भी इस संक्रमण से काफी भयभीत है 
इस विषय में लगभग 90 वर्षीय बुजुर्ग से खास बातचीत करते हुए उनसे इस संक्रमण के बारे में जानने की कोशिश कि की वो इस गंभीर महामारी के बारे में क्या सोचते है इसी कड़ी में हमारी बात सेवानिवृत्त अध्यापक जगत राम वेस से हुई जिनका जन्म 21 सितम्बर 1931 को कुनिहार के साथ लगती कोठी पंचायत के गांव बनिया देवी में हुआ। इनके ही प्रयासों से "हर गांव की कहानी" में इनके गांव बनिया देवी का नाम हिमाचल के मानचित्र में आया था।
उन्होंने बताया कि कोरोना से भी भयानक महामारियां देश मे आ चुकी है जिस समय देश व प्रदेश में स्वास्थ्य की सुविधा गिनी चुनी होती थी।
उन्होंने कहा कि 1940 में जब हैजा गंदे पानी पीने से फैला तो लोगो को उल्टियां व दस्त लगने के कारण ब्लडप्रेशर बढ़ता था जिस से मौत तक हो जाती थी।हैजा पूरे भारत मे ऐसा फैला जिस के कारण उस समय लाखों लोगों की मौत हो गई थी महामारी के कारण गांव के गांव साफ हो गये थे । उसी तरह प्लेग,चेचक व स्वाइन फ़्लू जैसी महमारिया भी मेरे सामने आ चुकी है जिसका इलाज ढूंढते सालो लग गये।तब तक लाखो लोगो की आहुति लग चुकी थी।उन्होंने सिप्लिस जैसी एक महामारी के बारे में भी जानकारी दी उन्होंने बताया कि जब वो महासू सिरमौर में अध्यापक के तौर पर कार्यरत थे तब पहाड़ो में सब से ज्यादा लोग सिप्लिस महामारी से ग्रस्त थे यह बीमारी एक से ज्यादा महिलाओं से संबंध बनाने से होती थी जिनमे आदमी की ऑर्गन ओर महिलाओं के विट्र्स को गला देती थी।उनके शरीर मे कीड़े तक पड़ जाते थे।इस बीमारी का सब से ज्यादा फैलने का कारण अनपढ़ता थी और न ही लोग उस समय जागरूक हुआ करते थे।
उसके बाद उन्होंने टीवी की बीमारी के बारे में जिक्र किया उनके अनुसार उस समय यह बीमारी नवाबों व अमीर लोगों में ज्यादा हुआ करती थी।उन्होंने धर्मपुर के आर के डी हॉस्पिटल का भी जिक्र किया जंहा पर लखनऊ के नवाब व भारत के कोने कोने से टी वी के मरीज आते थे।उन्होंने बताया कि चीड़ के पेड़ों की हवा भी टीवी के मरीजों के लिये औषदि का कार्य करती है धर्मपुर के आर के डी हॉस्पिटल के आस पास भी काफी चीड़ के पेड़ हुआ करते थे। अंत मे उन्होंने काला बुखार जोकि 1920-22 के दशक में भारत मे फैला था इस बुख़ार के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई थी इसकी तुलना कोरोना जैसी वैश्विक बीमारी से की है उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी में भी लोग बुखार और गले दर्द से मर रहे है और उस समय भी लोग काला बुख़ार से मरे।
काला बुखार का उस समय इलाज नही मिल पाया और ये बहुत तेजी से फैला ओर लाखो लोगो की मौत कारण भी बना।
देश मे उस समय हस्पताल की सुविधा बहुत कम हुआ करती थी।पोस्ट ऑफिस में दवाइयां मिला करती थी।तब पोस्ट ऑफिस को दवाखाना भी कहा जाता था।गांव के ज्यादातर लोग गांव के वैद के पास उपचार के लिए जाया करते थे जोकि आयुर्वेदिक दवाइयों से इलाज करते थे।उनके अनुसार कुनिहार में बहुत से प्रचलित आयुर्वेदिक वैद हुआ करते थे जिनमें शंकर लाल जोशी,सोहन लाल जोशी,बृजलाल वेद,केदार नाथ,तुलसी राम,आशाराम वेद रिवीं आदि। हमारे समय मे हस्पताल की सुविधा बहुत कम थी लोग भी साक्षर नही थे।दवाइयों की भी कमी होती थी।लोग इस वजह से मरते थे।परंतु आज के समय मे हर गांव ,मोहल्ले ,शहर में स्वास्थ्य की अच्छी सुविधा है। अभी देशों के डॉक्टर बड़ी गंभीरता से कोरोना का इलाज ढूंढ रहे है।और उन्हें जल्दी ही उपलब्धि हासिल होगी।
 

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