देव तनवर (सोलन)
भगवान पवनपुत्र हमुमान हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। कलियुग के प्रमुख देवों में से एक बजरंग बली को चिरंजीव माना जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा करना शुभ माना जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार एक असुर ने जब हाहाकार मचा दी थी, तब उस असुर का संहार करने के लिए हनुमान को एकादशमुखी रूप धारण करना पड़ा था। देश में 11 मुखी हनुमान के बहुत ही कम मंदिर है। इसी कड़ी में अब हिमाचल प्रदेश का सोलन जिला भी जुड़ गया है। सोलन जिला के सुबाथू के समीप कठनी गांव में अब लोगों को एकादशमुखी यानि 11 मुखी हनुमान के दर्शन होंगे।
इसके अलावा दक्षिणमुखी हनुमान, पंचमुखी हनुमान, श्रीगणेश, जटा वाले हनुमान के दर्शन भी हो सकेंगे। इसके लिए मंदिर बनकर तैयार हो गया है। मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूजा- अर्चना चल रही है। इसमें हिमाचल प्रदेश के अलावा मध्यप्रदेश के नीमच के विद्वान लोग पूजा अर्चना में जुटे हैं। प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूरा होने के बाद मंदिर में लोग दर्शन कर सकेंगे। माना जाता है कि 11 मुखी हनुमान के मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
माना जाता है कि हनुमान जी की पूजा से हर तरह से संकट दूर हो जाते हैं। देवता भी संकट से उभरने के लिए हनुमान वंदन करते हैं। इस मंदिर के कपाट 17 मई को प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूर्ण होने के बाद खुलेंगे।इस दिन मंदिर में विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मंदिर में पंचमुखी हनुमान, श्री गणेश, जटावाले हनुमान व दक्षिणमुखी हनुमान के दर्शन होंगे। साथ ही 21 इंज के हनुमान जी के चरण भी यहां देख सकेंगे।
संत चिंताराम रघुवंशी ने बताया कि यहां करीब 8 साल पहले हनुमान जी की मूर्ति करीब 30 फीट खुदाई के बाद मिली थी। तब से संत रघुवंशी के अलावा किसी ने भी इस मूर्ति को नहीं देखा है। इसके बाद से यहां लोगों का आना जाना लगा रहता है। यहां जेठे मंगलवार और जेठे वीरवार को भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें लोग यहां भारी संख्या में आते हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक करीब 4 लाख लोग मंदिर में आ चुके हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान संकटमोचन है और यहां आने वाले भक्तों के संकट दूर होते हैं। मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के बाद 17 मई को मंदिर लोग मंदिर में इस दुलर्भ मूर्ति के दर्शन कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि इस दिन भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा।